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Kya chal rahe hain abhi indian shere bazar me

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Kya chal rahe hain abhi — jo market ko affect kar sakte hainNSE ने डेरिवेटिव्स (F&O) ट्रेडिंग के लिए फिन निफ्टी का “क्वांटिटी फ्रीज़ लिमिट” कम कर दिया है: 1,800 → 1,200 कॉन्ट्रैक्ट्स, 1 दिसंबर से आगे।

मतलब है — डेरिवेटिव्स में बड़े ऑर्डर्स या “फैट-फिंगर” एरर्स के चांस कम करना। यह मार्केट को स्टेबल बना सकता है — लेकिन कभी-कभी लिमिट चेंज से वोलैटिलिटी भी आ सकती है, क्योंकि ट्रेडर्स का बिहेवियर चेंज होता है।

मार्केट अभी थोड़ी रिकवरी में है: हाल ही में बुल्स ने जोश दिखाया है, और पॉजिटिव ग्लोबल क्यूज़ + डोमेस्टिक मैक्रो डेटा + फॉरेन इन्वेस्टमेंट ने सपोर्ट दिया है।

कुछ एनालिस्ट्स उम्मीद कर रहे हैं कि निफ्टी 26,500 के आस-पास जा सकता है अगर पॉजिटिव सेंटिमेंट बना रहा है।

लेकिन सारे स्टॉक्स में पार्टिसिपेशन उतनी स्ट्रॉन्ग नहीं है जितनी आइडियली होनी चाहिए थी — कुछ सेक्टर्स में स्ट्रेंथ है, पर सब में नहीं।

अगर ग्लोबल या डोमेस्टिक कोई सरप्राइज़ हो (जैसे क्रूड ऑयल, ग्लोबल इकॉनमी या RBI/Fed के फैसले), तो मार्केट में तेज़ी के साथ गिरावट या फ्लक्चुएशन पॉसिबल है।

ओवरऑल टेक्निकल स्ट्रक्चर अभी थोड़ी पॉजिटिव लग रही है: मोमेंटम, ट्रेंड-सपोर्ट और सेंटिमेंट ठीक है। अगर शॉर्ट-टर्म ट्रिगर्स मिलते हैं, तो मार्केट ऊपर जा सकता है। लेकिन पुलबैक या कंसोलिडेशन भी मुमकिन है।

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